Increase in MGNREGA labor work: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल देने का एक कदम

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लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार का मनरेगा (MGNREGA) मजदूरी दरों में 28 रुपये की वृद्धि का फैसला ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। यह वृद्धि, जो 1 अप्रैल 2024 से लागू होगी, करोड़ों ग्रामीण मजदूरों को सीधे लाभ पहुंचाएगी और उनकी क्रय शक्ति में वृद्धि करेगी।

आवश्यकता क्यों थी?

मनरेगा योजना 2005 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन और रोजगार सृजन करना था। योजना के तहत, ग्रामीण परिवारों को कम से कम 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में, मुद्रास्फीति में वृद्धि के कारण, मौजूदा मजदूरी दरें ग्रामीण मजदूरों के लिए जीवन यापन की लागत को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हो गई थीं।

पिछले दिनों संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट में भी इस बात का उल्लेख किया गया था कि मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी पर्याप्त नहीं है। अनूप सतपथी कमेटी ने मजदूरी दर को बढ़ाकर 375 रुपये प्रतिदिन करने की सिफारिश की थी।

सरकार का यह कदम इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है, हालांकि यह अभी भी कमेटी द्वारा सुझाई गई दर से काफी कम है।

क्या है राज्यवार प्रभाव?

सरकार द्वारा घोषित नई मजदूरी दरें राज्यों के अनुसार भिन्न हैं। अखिल भारतीय औसत 289 रुपये प्रतिदिन निर्धारित की गई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 7% की वृद्धि है।

हालांकि, कुछ राज्यों में मजदूरों को काफी अधिक लाभ मिलेगा। उदाहरण के लिए, गोवा में मजदूरी दर में सबसे अधिक 10.56% की वृद्धि देखी गई है, जिससे यह 322 रुपये से बढ़कर 356 रुपये प्रतिदिन हो गई है। वहीं, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी मजदूरी दरों में 10% से अधिक की वृद्धि की गई है।

दूसरी ओर, कुछ राज्यों में वृद्धि न्यूनतम है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में केवल 3% से कम की वृद्धि की गई है।

यह विसंगति इस तथ्य को उजागर करती है कि भारत के विभिन्न राज्यों में जीवन यापन की लागत में काफी अंतर है। आदर्श रूप से, मजदूरी दरों को निर्धारित करते समय इस अंतर को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:

मनरेगा मजदूरी में वृद्धि का ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। मजदूरों की बढ़ी हुई आय से उनकी क्रय शक्ति में वृद्धि होगी, जिससे ग्रामीण मांग में वृद्धि होगी। यह स्थानीय दुकानों और व्यवसायों को लाभ पहुंचाएगा और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा।

इसके अलावा, मजदूरी वृद्धि से ग्रामीण परिवारों की बचत क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे वे शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों पर अधिक खर्च कर सकेंगे। यह ग्रामीण विकास को बढ़ावा देगा और सामाजिक आर्थिक असमानताओं को कम करेगा।

चुनौतियां और भविष्य की दिशा:

हालांकि, मनरेगा मजदूरी में वृद्धि एक सकारात्मक कदम है, फिर भी कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

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