गाय को हिंदू धर्म में माता का दर्जा प्राप्त है। यह पशुधन समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता रहा है। हाल ही में ब्राजील में हुई एक पशुधन नीलामी ने इस परंपरागत धारणा को एक अनोखे रूप में सच साबित कर दिया। इस नीलामी में भारत की नेल्लोर नस्ल की एक गाय “वियाटिना-19 एफआईवी मारा इमोविस” को रिकॉर्ड 40 करोड़ रुपये की बोली लगाकर खरीदा गया। यह घटना न सिर्फ भारत के लिए गौरव का विषय है बल्कि पशुधन क्षेत्र में आनुवंशिकी के महत्व को भी रेखांकित करती है।
नेल्लोर नस्ल की खासियतें:
आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले की मूल निवासी नेल्लोर नस्ल की गायें अपनी कई खासियतों के लिए जानी जाती हैं। ये गायें कड़ी धूप और गर्मी सहने में माहिर होती हैं। इनका मेटाबॉलिज्म यानी पाचन क्रिया तंत्र काफी मजबूत होता है, जिससे वे कम बीमार पड़ती हैं। ये गुण पशुपालकों के लिए बेहद फायदेमंद हैं। वियाटिना भी इन्हीं खूबियों से भरपूर है और माना जा रहा है कि यह अपनी संतानों को भी ये गुण विरासत में देगी।
इतनी ऊँची बोली क्यों?
वियाटिना की इतनी ऊँची बोली केवल उसके शारीरिक गुणों तक सीमित नहीं है। असल में, इस नीलामी में खरीदी गई गाय की प्रजनन क्षमता पर भी बहुत ध्यान दिया जाता है। वियाटिना के आनुवंशिक गुणों को भ्रूण स्थानांतरण जैसी तकनीकों के जरिए उसकी संतानों में स्थानांतरित किया जा सकता है। माना जा रहा है कि उसकी संतानें भी माँ के समान मजबूत और रोग प्रतिरोधी होंगी। इससे न सिर्फ नेल्लोर नस्ल का विकास होगा बल्कि पूरे ब्राज़ील के डेयरी उद्योग को भी लाभ होगा।
ब्राज़ील में नेल्लोर नस्ल का सफर:
नेल्लोर नस्ल की गायें भले ही भारत की मूल निवासी हैं, लेकिन 1868 में पहली बार दो नेल्लोर गायों को ब्राज़ील लाया गया था। इसके बाद कई और गायों का आयात किया गया, जिससे वहां नेल्लोर नस्ल की संख्या बढ़ती गई। ब्राज़ील के वातावरण के अनुकूल होने के कारण यह नस्ल वहां काफी लोकप्रिय हो गई और आज यह सबसे महंगी गायों की नस्लों में से एक मानी जाती है।
नीलामी का व्यापक प्रभाव:
यह नीलामी पशुधन क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इससे पशुपालकों में बेहतर आनुवंशिक गुणों वाले पशुधन को पालने की प्रेरणा मिलेगी। इससे न सिर्फ दूध उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि पशुओं के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा। यह अंततः किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को मजबूत करने में योगदान देगा।
निष्कर्ष:
ब्राज़ील की यह नीलामी भारत के लिए गौरव का विषय है। इस घटना ने न सिर्फ नेल्लोर नस्ल की खूबियों को दुनिया के सामने ला खड़ा किया है बल्कि पशुधन क्षेत्र में आनुवंशिकी के महत्व को भी रेखांकित किया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह घटना भारतीय पशुपालन क्षेत्र को भी प्रेरित करेगी और आने वाले समय में भारत भी विश्व पटल पर इसी तरह की सफलता हासिल करेगा।