शर्मिला टैगोर, भारतीय सिनेमा की एक चमकदार सितारा, जिनकी खूबसूरती और अदाकारी ने लाखों दिलों को जीता। 14 साल की उम्र में सत्यजीत रे की फिल्म ‘देवी’ से डेब्यू करने वाली शर्मिला जी ने दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता और 2013 में पद्म भूषण से सम्मानित भी हुईं।
हाल ही में एक इंटरव्यू में, शर्मिला जी ने अपनी फिल्मों की फीस को लेकर कुछ दिलचस्प बातें बताईं। उन्होंने अपनी पहली फीस, 5000 रुपये, और उससे क्या खरीदा, इसका खुलासा किया।
पहली फीस: 5000 रुपये, साड़ी और घड़ी
शर्मिला जी कहती हैं, “मैंने कम उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। उस समय फीस आज जितनी शानदार नहीं थी, लेकिन चीजें भी कम महंगी थीं।” अपनी पहली फीस के बारे में बताते हुए वे कहती हैं, “मेरे पिता पैसों में कोई दिलचस्पी नहीं रखते थे, लेकिन सत्यजीत रे ने जोर दिया। उन्होंने मुझे एक साड़ी, एक घड़ी और 5,000 रुपये दिए।”
पहली कमाई से खरीदे गहने
अपनी पहली कमाई का खर्च बताते हुए शर्मिला जी कहती हैं, “एक बंगाली परिवार से होने के नाते, हम सोने-चांदी की दुकान पर गए। हमने सोने की चूड़ियां, हार और बालियां खरीदीं। पैसे कम थे, लेकिन चीजें भी महंगी नहीं थीं।”
पहली हिंदी फिल्म के लिए 25,000 रुपये
शर्मिला जी ने आगे बताया कि उनकी शुरुआती बंगाली फिल्मों के दौरान उन्हें 10,000-15,000 रुपये फीस मिलती थी। लेकिन उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘कश्मीर की कली’ (1964) के लिए उन्हें 25,000 रुपये मिले थे।
जमीन की पेशकश
शर्मिला जी याद करते हुए बताती हैं कि उन्हें शक्ति आनंद की दो फिल्मों के लिए 25-25 हजार रुपये मिलने थे, लेकिन डायरेक्टर ने उन्हें दूसरी फिल्म के लिए फीस के बदले विले पार्ले में जमीन खरीदकर देने की पेशकश की। वे कहती हैं, “उन्होंने कहा कि पैसे देने के बजाय थोड़ी जमीन दे दूं। मैंने कहा, ‘क्या आप पागल हो? क्या मैं इस दलदल में रहने वाली हूं?’ यह 1963 की बात है।”
निष्कर्ष
शर्मिला टैगोर की कहानी हमें यह सिखाती है कि पैसा ही सब कुछ नहीं होता। उन्होंने अपनी पहली कमाई से गहने खरीदे, जो उनके लिए खुशी का प्रतीक थे। उन्होंने जमीन की पेशकश को भी ठुकरा दिया क्योंकि उन्हें यह दलदल जैसी लगी।
शर्मिला जी एक प्रेरणा हैं, न केवल अपनी अभिनय प्रतिभा के लिए, बल्कि अपनी समझदारी और सादगी के लिए भी।