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Swiggy: भारत के स्वाद का डिजिटल साम्राज्य IPO के लिए तैयार

भारतीय खानपान का डिजिटल चेहरा, स्विगी, भारतीय पूंजी बाजार में धूम मचाने के लिए तैयार है। 2014 में स्थापित यह कंपनी, जिसने देश भर में भोजन प्रेमियों के दिलों और पेटों पर राज किया है, अब अपना बहुप्रतीक्षित IPO लाने जा रही है। इस कदम के साथ, स्विगी न केवल अपने व्यापार का विस्तार करने की योजना बना रही है, बल्कि यह भारतीय स्टार्टअप जगत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी साबित होगा।

IPO का महत्व:

स्विगी का IPO भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। यह दर्शाता है कि भारतीय कंपनियां अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और बड़े पैमाने पर धन जुटाने में सक्षम हैं। यह पूंजी बाजार में निवेशकों का भारतीय स्टार्टअप के प्रति बढ़ते विश्वास का भी प्रतीक है। स्विगी के सफल IPO से अन्य होनहार स्टार्टअप को भी प्रोत्साहन मिलेगा और वे भी पूंजी जुटाने के लिए इसी रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित होंगे।

IPO विवरण:

IPO के माध्यम से, स्विगी कुल मिलाकर 10,414 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है। यह राशि दो तरीकों से जुटाई जाएगी। पहला, कंपनी 3,750 करोड़ रुपये के नए इक्विटी शेयर जारी करेगी। दूसरा, मौजूदा शेयरधारक 6,664 करोड़ रुपये की बिक्री पेशकश (ओएफएस) लाएंगे। इसके अतिरिक्त, कंपनी IPO से पहले एंकर निवेशकों से 750 करोड़ रुपये जुटाने की भी योजना बना रही है।

स्विगी की सफलता गाथा:

2014 में बेंगलुरु में स्थापित, स्विगी ने भारतीय खाद्य परिदृश्य में एक क्रांति ला दी है। यह ग्राहकों को उनके पसंदीदा रेस्तरां से भोजन ऑर्डर करने और सीधे उनके घर पर डिलीवरी कराने की सुविधा प्रदान करता है। इस सरल लेकिन क्रांतिकारी विचार ने स्विगी को देश भर के 500 से अधिक शहरों में 4,700 से अधिक कर्मचारियों के साथ विस्तार करने में मदद की है। कंपनी का वर्तमान बाजार पूंजीकरण 12.7 अरब डॉलर और वार्षिक आय 1.09 अरब डॉलर है।

कस्टमर सर्विस से परे: विस्तृत सेवाएं:

स्विगी ने केवल फूड डिलीवरी तक ही सीमित नहीं रहने का फैसला किया है। कंपनी ने अपनी सेवाओं का विस्तार किया है और अब यह इंस्टामार्ट के माध्यम से 15-30 मिनट के भीतर किराना सामान की ऑनलाइन ऑर्डर और डिलीवरी की सुविधा भी प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त, जेनी नामक सेवा के जरिए स्विगी उसी दिन पैकेजों की डिलीवरी भी कराती है। यह विविधता स्विगी को बाजार में एक मजबूत स्थिति प्रदान करती है और ग्राहकों को एक व्यापक सुविधा देती है।

IPO के बाद का रास्ता:

IPO से जुटाई गई राशि का उपयोग स्विगी अपनी व्यापार रणनीति को और मजबूत बनाने में करेगी। कंपनी का लक्ष्य नए शहरों में प्रवेश करना, अपने वर्तमान नेटवर्क का विस्तार करना, प्रौद्योगिकी में निवेश करना और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना है। यह संभवतः विपणन और ग्राहक अधिग्रहण प्रयासों को बढ़ाने में भी मदद करेगा।

IPO में निवेश करना चाहिए?

स्विगी का IPO निवेशकों के लिए एक आकर्षक अवसर हो सकता है। हालांकि, किसी भी निवेश निर्णय से पहले सावधानीपूर्वक सोच-विचार करना महत्वपूर्ण है। आपको कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन, भविष्य की योजनाओं, बाजार में प्रतिस्पर्धी परिदृश्य और समग्र आर्थिक परिस्थितियों का मूल्यांकन करना चाहिए। IPO अभी भी प्रारंभिक चरण में है और इसमें बदलाव हो सकते हैं। इसलिए, आपको सलाह दी जाती है कि किसी भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले किसी पंजीकृत वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।

निष्कर्ष:

स्विगी का IPO भारतीय स्टार्टअप जगत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह न केवल कंपनी के लिए विकास का एक नया अध्याय खोलता है, बल्कि यह भारतीय पूंजी बाजार में निवेशकों के लिए भी एक आकर्षक अवसर है। भले ही आप स्विगी के IPO में निवेश करने का निर्णय लेते हैं या नहीं, यह कंपनी निश्चित रूप से भारतीय खानपान जगत के डिजिटल परिदृश्य को आकार देने में एक प्रमुख भूमिका निभाती रहेगी। स्विगी की यह यात्रा निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में भारतीय स्वाद के डिजिटल साम्राज्य के रूप में इसके विकास को और गति प्रदान करेगी।

Zomato’s Shock: बढ़ती हुई कस्टमर फीस का असर आपकी जेब पर

पिछले कुछ समय में फूड डिलीवरी सेवाओं पर निर्भरता काफी बढ़ गई है. व्यस्त दिनचर्या और भागदौड़ में अक्सर शाम को खाना बनाने का समय नहीं मिलता या फिर मन नहीं करता, ऐसे में ज़ोमैटो जैसी फूड डिलीवरी कंपनियां काम आती हैं. लेकिन, हाल ही में जोमैटो ने एक ऐसा फैसला लिया है जिससे ग्राहकों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा. कंपनी ने अपनी कस्टमर फीस में 25% की बढ़ोतरी कर दी है.

कितनी बढ़ी फीस?

पहले जोमैटो पर हर ऑर्डर पर 4 रुपये की कस्टमर फीस लगती थी. लेकिन अब कंपनी ने इसे बढ़ाकर 5 रुपये प्रति ऑर्डर कर दिया है. यह बढ़ोतरी फिलहाल दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद और लखनऊ जैसे प्रमुख शहरों में लागू की गई है.

क्यों बढ़ाई फीस?

जोमैटो ने अभी तक इस कदम के पीछे का स्पष्ट कारण नहीं बताया है. कंपनी का कहना है कि यह एक “व्यवसायिक फैसला” है और वे समय-समय पर विभिन्न कारकों के आधार पर ऐसे फैसले लेते हैं. हालांकि, जानकारों का मानना है कि रेस्टोरेंट्स के साथ कमीशन को लेकर हो रही बातचीत और फूड डिलीवरी मार्केट की प्रतिस्पर्धा इस फैसले के पीछे कारण हो सकते हैं.

ग्राहक पर क्या होगा असर?

यह बढ़ोतरी सीधे तौर पर आपके ऑर्डर की कुल कीमत को प्रभावित करेगी. उदाहरण के लिए, मान लीजिए आप शाम को घर पर रहते हुए किसी रेस्टोरेंट से 250 रुपये का खाना मंगवाते हैं. पहले आपको कुल 254 रुपये (250 रुपये + 4 रुपये फीस) चुकाने होते थे. लेकिन अब इसी ऑर्डर के लिए आपको 255 रुपये (250 रुपये + 5 रुपये फीस) देने होंगे. भले ही यह बढ़ोतरी कम लग रही हो, लेकिन अगर आप हफ्ते में कई बार फूड डिलीवरी का इस्तेमाल करते हैं, तो यह एक साल में एक अच्छी खासी रकम बन जाती है.

क्या हैं विकल्प?

अगर आप फीस बचाना चाहते हैं तो आप स्विगी जैसे अन्य फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि, स्विगी भी फिलहाल 5 रुपये प्रति ऑर्डर की फीस ले रहा है. भविष्य में हो सकता है कि स्विगी भी अपनी फीस में बढ़ोतरी कर दे. ऐसे में ग्राहकों के लिए विकल्प सीमित होते जा रहे हैं.

दूसरे बदलाव – इंटरसिटी लीजेंड्स सेवा बंद

जोमैटो ने हाल ही में एक और अहम बदलाव किया है. कंपनी ने अपनी “इंटरसिटी लीजेंड्स” सेवा को बंद कर दिया है. यह सर्विस उन ग्राहकों को अलग-अलग शहरों में स्थित रेस्टोरेंट से खाना मंगवाने की सुविधा देती थी. इस सर्विस को बंद करने के पीछे क्या कारण है, इसकी जानकारी फिलहाल नहीं मिल पाई है.

ग्राहकों की प्रतिक्रिया?

सोशल मीडिया पर ज्यादातर ग्राहक जोमैटो के इस फैसले से खुश नहीं हैं. कई यूजर्स का कहना है कि यह बढ़ोतरी पहले से ही महंगी होती जा रही फूड डिलीवरी सेवा को और भी महंगा बना देगी. वहीं, कुछ यूजर्स का कहना है कि अगर उन्हें अच्छा खाना और सर्विस मिलती रहे, तो वे इस मामूली बढ़ोतरी को स्वीकार कर सकते हैं. यह देखना बाकी है कि आने वाले समय में ग्राहक किस तरह से जोमैटो के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हैं और क्या वे स्विगी जैसे अन्य प्लेटफॉर्म की ओर रुख करते हैं.

HDFC बैंक का Q4 रिजल्ट: शानदार प्रदर्शन, बढ़ा मुनाफा और डिविडेंड

मुख्य बातें:

  • मुनाफा: एचडीएफसी बैंक का स्टैंडअलोन प्रॉफिट मार्च तिमाही में 37.1% बढ़कर 16,511.85 करोड़ रुपये रहा।
  • ब्याज से आय: बैंक की नेट इंटरेस्ट इनकम 24.5% बढ़कर 29,077 करोड़ रुपये रही।
  • डिविडेंड: बैंक ने FY24 के लिए प्रति शेयर 19.5 रुपये का डिविडेंड घोषित किया है।
  • एनपीए: बैंक का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति अनुपात (एनपीए) 1.24% पर रहा।
  • कुल संपत्ति पर शुद्ध ब्याज मार्जिन: 3.44%
  • आगे का दृष्टिकोण: अर्थव्यवस्था में ऋण का माहौल अनुकूल बना हुआ है और सभी क्षेत्रों में बैंक का ऋण प्रदर्शन स्वस्थ बना हुआ है।

विस्तृत विश्लेषण:

एचडीएफसी बैंक ने Q4 में शानदार प्रदर्शन करते हुए 37% की मुनाफा वृद्धि दर्ज की है। यह वृद्धि बैंक की मजबूत ब्याज आय और गैर-ब्याज आय दोनों से प्रेरित है। बैंक की नेट इंटरेस्ट इनकम 24.5% बढ़कर 29,077 करोड़ रुपये हो गई, जो मुख्य रूप से ऋण वृद्धि और बेहतर ब्याज मार्जिन के कारण है। बैंक ने अन्य आय में भी मजबूत वृद्धि देखी, जो मुख्य रूप से ट्रेडिंग और मार्क-टू-मार्केट लाभ से प्रेरित है।

बैंक का एनपीए 1.24% पर रहा, जो पिछली तिमाही के 1.26% से थोड़ा कम है। यह दर्शाता है कि बैंक की ऋण गुणवत्ता में सुधार जारी है। बैंक ने अपनी कुल संपत्ति पर 3.44% का शुद्ध ब्याज मार्जिन (NIM) बनाए रखा, जो उद्योग के मानकों के अनुरूप है।

एचडीएफसी बैंक ने FY24 के लिए प्रति शेयर 19.5 रुपये का डिविडेंड घोषित किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15% अधिक है। यह बैंक की मजबूत वित्तीय स्थिति और भविष्य की वृद्धि की संभावनाओं को दर्शाता है।

कुल मिलाकर, एचडीएफसी बैंक का Q4 रिजल्ट सभी मोर्चों पर मजबूत रहा है। बैंक ने मुनाफा, ब्याज आय, गैर-ब्याज आय, एनपीए और NIM में वृद्धि दर्ज की है। बैंक ने भविष्य के लिए भी आशाजनक दृष्टिकोण व्यक्त किया है।

निष्कर्ष:

एचडीएफसी बैंक भारत के सबसे मजबूत और सबसे लाभदायक बैंकों में से एक है। Q4 का रिजल्ट इस बात की पुष्टि करता है कि बैंक मजबूत गति से आगे बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में भी अच्छा प्रदर्शन जारी रखने की संभावना है।

अतिरिक्त जानकारी:

  • बैंक ने अपनी आवास ऋण केंद्रित मूल कंपनी एचडीएफसी (HDFC) का विलय जुलाई 2023 में कर लिया था।
  • बैंक के शेयर शुक्रवार को बीएसई पर 2.5% की तेजी के साथ 1531.30 रुपये पर बंद हुए।

नोट: यह केवल एक संक्षिप्त सारांश है। अधिक जानकारी के लिए, कृपया बैंक की आधिकारिक विज्ञप्ति और वार्षिक रिपोर्ट देखें।

Infosys Founder Narayan Murthy Grandson, एकाग्र रोहन मूर्ति को 4.2 करोड़ रुपये का डिविडेंड

परिचय:

दिग्गज आईटी कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) के पोते एकाग्र रोहन मूर्ति (Ekagrah Rohan Murthy) को कंपनी द्वारा घोषित लाभांश के तहत 4.2 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। यह घटना भारत के कॉर्पोरेट इतिहास में काफी अनोखी है, क्योंकि इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी रकम का लाभांश प्राप्त करना अत्यंत दुर्लभ है।

विवरण:

  • लाभांश की घोषणा: 18 अप्रैल, 2024 को, इन्फोसिस ने 20 रुपये के अंतिम लाभांश और 8 रुपये के विशेष लाभांश सहित कुल 28 रुपये प्रति शेयर का लाभांश देने की घोषणा की।
  • एकाग्र की हिस्सेदारी: नारायण मूर्ति ने पिछले महीने ही अपने पोते एकाग्र को इन्फोसिस के 15 लाख शेयर (0.04% हिस्सेदारी) उपहार में दिए थे।
  • लाभांश की गणना: 15 लाख शेयरों पर 28 रुपये प्रति शेयर के लाभांश की दर से, एकाग्र को कुल 4.2 करोड़ रुपये का लाभांश प्राप्त होगा।
  • कंपनी का मूल्य: इन्फोसिस के शेयर की वर्तमान कीमत 1400 रुपये प्रति शेयर है, जिससे एकाग्र की कुल हिस्सेदारी का मूल्य 210 करोड़ रुपये हो जाता है।
  • भुगतान की तारीख: लाभांश के भुगतान के लिए रिकॉर्ड तारीख 31 मई, 2024 निर्धारित की गई है, और भुगतान 1 जुलाई, 2024 को किया जाएगा।

पृष्ठभूमि:

  • एकाग्र का जन्म: एकाग्र रोहन मूर्ति का जन्म 10 नवंबर, 2023 को बेंगलुरु में हुआ था।
  • रोहन मूर्ति की शिक्षा: एकाग्र के पिता, रोहन मूर्ति, ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से कंप्यूटर विज्ञान में पीएचडी प्राप्त की है।
  • इन्फोसिस की स्थापना: नारायण मूर्ति ने 1981 में छह अन्य सह-संस्थापकों के साथ मिलकर इन्फोसिस की स्थापना की थी।
  • सुधा मूर्ति का योगदान: नारायण मूर्ति की पत्नी, सुधा मूर्ति ने कंपनी के शुरुआती दिनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उन्होंने अपनी बचत में से 10,000 रुपये कंपनी में निवेश किए थे।

निष्कर्ष:

यह घटना भारत के कॉर्पोरेट इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह दर्शाता है कि भारत में युवा पीढ़ी तेजी से व्यापार और उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। एकाग्र मूर्ति की कहानी निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक होगी।

अतिरिक्त जानकारी:

  • इन्फोसिस के संस्थापकों के पोते-पोतियों में से, सह-संस्थापक नंदन नीलेकणी के पोते, तनुष नीलेकणी चंद्रा के पास कंपनी की 0.09% हिस्सेदारी है।
  • इन्फोसिस के प्रमोटर और प्रमोटर ग्रुप की कुल हिस्सेदारी 14.78% है।

यह जानकारी आपको कैसी लगी? क्या आपके पास कोई अन्य प्रश्न हैं?

Deluge in UAE due to Arabian rains: एयर इंडिया ने लाया दिल्ली-दुबई रूट पर शानदार A350 विमान

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) सहित चार खाड़ी देशों में भारी बारिश और बाढ़ का कहर जारी है. इस जलप्रलय ने यूएई की सरकार को काफी चिंतित कर दिया है. लेकिन इस बीच, यात्रियों के लिए एक खुशखबरी भी है. टाटा समूह की विमानन कंपनी एयर इंडिया ने दिल्ली-दुबई रूट पर अपने एकदम नए A350 विमान को उतारने का ऐलान किया है.

यह A350 विमान छोटी दूरी की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में अपनी पहली शुरुआत करने जा रहा है. गौरतलब है कि दिल्ली-दुबई हवाई मार्ग दुनिया के सबसे व्यस्त हवाई मार्गों में से एक माना जाता है.

एयर इंडिया के अनुसार, 1 मई 2024 से दिल्ली-दुबई के बीच A350 विमान उड़ान भरना शुरू कर देगा. यह एयर इंडिया का बिल्कुल नया विमान है. AI995/996 के नाम से परिचालन करने वाला ये विमान रोजाना शाम 8:45 बजे दिल्ली से प्रस्थान करेगा और रात 10:45 बजे दुबई पहुंचेगा. वहीं वापसी की उड़ान अगले दिन तड़के 00:15 बजे दुबई से रवाना होकर सुबह 4:55 बजे दिल्ली पहुंचेगी.

इसके साथ ही एयर इंडिया भारत और दुबई के बीच A350 विमान चलाने वाली इकलौती एयरलाइन बन जाएगी. दिल्ली-दुबई रूट पर A350 विमान की सीटें एयर इंडिया की वेबसाइट और मोबाइल ऐप या फिर ट्रैवल एजेंटों के माध्यम से बुक करवाई जा सकती हैं.

एयर इंडिया के इस A350 विमान में यात्रियों को कई तरह की शानदार सुविधाएं मिलेंगी, जिनमें शामिल हैं:

  • बिजनेस क्लास में फुल-फ्लैट बेड वाले 28 प्राइवेट सुइट्स
  • प्रीमियम इकोनॉमी केबिन में 24 सीटें जो अतिरिक्त लेगरूम देंगी
  • इकोनॉमी क्लास में 264 आरामदायक सीटें

यह खास बात है कि A350 विमान की सभी सीटों पर लेटेस्ट जेनरेशन के पैनासोनिक eX3 इन-फ्लाइट एंटरटेनमेंट सिस्टम और HD स्क्रीन लगाई गई हैं. ये सिस्टम दुनिया भर से 2,200 घंटे से अधिक मनोरंजन सामग्री देखने की सुविधा देता है.

यह नया A350 विमान दिल्ली-दुबई रूट पर यात्रियों को एक बेहद आरामदायक और सुखद सफर का अनुभव प्रदान करेगा.

मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी है. अगर आपके कोई और सवाल हैं तो आप बेझिझक पूछ सकते हैं.

Flat Possession: पजेशन में देरी और एक्स्ट्रा चार्ज मांगना अवैध, DSCDRC ने दिया ये आदेश

दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (DSCDRC) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बेसिक सेल प्राइज पर बेचे गए फ्लैट का देरी से पजेशन देने और बिल्डर द्वारा खरीदार से की गई अतिरिक्त मांगों को अनुचित, अवैध और मनमाना करार दिया है। आयोग ने दंपती को बिल्डर-बायर एग्रीमेंट के आधार पर संबंधित बिल्डर से उनके फ्लैट का पजेशन दिलाया। साथ ही मानसिक परेशानी के लिए 2 लाख रुपये का मुआवजा और मुकदमेबाजी के खर्च के रूप में 50 हजार रुपये अलग से दिलाए।

मामला क्या था?

यह मामला नलिन और अनिता शर्मा नामक एक दंपती का है, जिन्होंने 2007 में धारूहेड़ा, हरियाणा में अरावली हाइट्स नामक एक प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक कराया था। द्वारकाधीश प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (बिल्डर) और दंपती के बीच 18 फरवरी 2008 को एक समझौता हुआ था। समझौते के अनुसार, बिल्डर को तीन साल के भीतर प्रोजेक्ट को पूरा करना था।

हालांकि, बिल्डर निर्धारित अवधि में काम पूरा करने में असफल रहा। इसके बाद उसने 28 फरवरी 2013 को आंशिक ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट के आधार पर अनुचित मांगों के साथ दंपती को पजेशन के लिए ऑफर लेटर भेजा। इन मांगों में दंपती की ओर से भुगतान में कथित तौर पर देरी से भुगतान के लिए ब्याज भी शामिल था, जिसे आयोग ने गलत पाया।

आयोग का फैसला

दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अपने फैसले में कहा कि रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि दंपती ने कंस्ट्रक्शन लिंक्ड प्लान (सीएलपी) चुना था, जिसमें उन्हें कुल कीमत का 95% भुगतान 2011 तक करना था। दंपती ने यह भुगतान कर दिया था। इसके बावजूद, बिल्डर अतिरिक्त मांगों के साथ उन्हें डिमांड लेटर भेजता रहा। बिल्डर ने इन अतिरिक्त मांगों के लिए कोई स्पष्ट कारण भी नहीं बताया।

आयोग ने यह भी पाया कि बायर्स एग्रीमेंट में बिजली और पानी के कनेक्शन के चार्ज का कहीं कोई जिक्र नहीं था। ऐसे में यह माना जा सकता है कि ये चार्ज बेसिक कीमत में शामिल थे। इसलिए, दंपती इन चार्जों का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं थे।

आयोग ने कहा कि बिल्डर का शिकायतकर्ता से सर्विस टैक्स, ब्याज, पीनल इंट्रेस्ट, IFMS, मेंटेनेंस चार्ज/होल्डिंग चार्ज जैसी मांगें करना अनुचित और अवैध है। क्योंकि बिल्डर की ओर से निर्माण और फ्लैट का पजेशन देने में देरी हुई थी।

दंपती पर केवल क्लब मेंबरशिप, कार पार्किंग चार्ज और इंश्योरेंस कॉस्ट का भुगतान करना बाकी था। इनकी पेमेंट करते ही बिल्डर को एक महीने के भीतर उन्हें फ्लैट का पजेशन देना था। आयोग ने संबंधित प्रोजेक्ट पर निर्माण कार्य में देरी के लिए बिल्डर की खिंचाई भी की।

इस फैसले का महत्व

यह फैसला उन सभी खरीदारों के लिए महत्वपूर्ण है जो बेसिक सेल प्राइज पर फ्लैट खरीदते हैं। यह फैसला स्पष्ट करता है कि बिल्डर खरीदारों से अनुचित और अवैध मांगें नहीं कर सकते। यदि कोई बिल्डर ऐसा करता है, तो खरीदार उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

निष्कर्ष

दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का यह फैसला उन खरीदारों के लिए एक बड़ी राहत है, जो अक्सर बिल्डरों द्वारा की जाने वाली मनमानी मांगों से परेशान रहते हैं। यह फैसला इस बात को रेखांकित करता है कि बिल्डर-खरीदार समझौते में निर्धारित बेसिक सेल प्राइज के अलावा किसी भी तरह की अतिरिक्त और अनुचित मांग करना अवैध है। साथ ही, यदि बिल्डर निर्धारित समय सीमा में फ्लैट का पजेशन देने में विफल रहता है, तो उसे खरीदार को मानसिक परेशानी के लिए मुआवजा भी देना होगा।

यह फैसला यह भी स्पष्ट करता है कि खरीदारों को समझौते में उल्लिखित राशि से अधिक का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। यदि बिल्डर बिजली-पानी कनेक्शन या अन्य सुविधाओं के लिए अलग से शुल्क लेना चाहता है, तो उसे इस बात का स्पष्ट उल्लेख खरीदार-बिल्डर समझौते में करना चाहिए।

इस फैसले के मद्देनजर यह सलाह दी जाती है कि फ्लैट खरीदते समय खरीदार बिल्डर-खरीदार समझौते को ध्यानपूर्वक पढ़ें और समझ लें। यदि आपको लगता है कि बिल्डर आपसे अनुचित मांग कर रहा है, तो उपभोक्ता आयोग से संपर्क करने में संकोच न करें।